Hindi fiction: An excerpt from ‘Shaldungari Ka Ghayal Sapna’, by Manoj Bhakt

The novel holds a mirror to the ‘real development’ story in the tribal lands of Jharkhand.

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मनोज भक्त के उपन्यास शालडुंगरी का घायल सपना का एक अंश, राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित।

प्रतिभा को दबाया नहीं जा सकता है!’—पार्टी में यह मुहावरा चारों ओर चल रहा था। बैठकों में, कार्यकर्ताओं-नेताओं की आपसी बातचीत में और मंत्रियों-विधायकों-सांसदों के सम्मान-समारोहों में लोग इस बात को क़ुबूल कर रहे थे कि प्रतिभा को छुपाया नहीं जा सकता है। बबन दुबे इसका उदाहरण था। बबन दुबे नये कार्यकर्ताओं के लिए उम्मीद का प्रतीक था। भागवत राय के समर्थकों का साफ़ कहना था कि मुख्यमंत्री जी को सक्षम टीम चाहिए। गंगा बाबू से अब चलनेवाला नहीं है। अकेले मुख्यमंत्री गाड़ी को कहाँ तक खींचेंगे? गंगा बाबू की जगह नये अध्यक्ष का मनोनयन करना चाहिए और इसके लिए बबन दुबे से ज़्यादा योग्य और प्रतिभाशाली राज्य में दूसरा कौन है?

विद्या अपहरण-कांड और लेवाडीह मॉब लिंचिंग, ये दोनों ही मामले कोर्ट में टिक नहीं पाए। गवाह ही नहीं रहे। स्टील प्लांट से लेकर लेवाडीह तक जितने भी मामले बबन दुबे पर दर्ज हुए, सब-के-सब ख़ारिज हुए। स्टील प्लांट में पार्टी का बोलबाला बबन दुबे की कर्मठता की वजह से है। अध्यक्ष जी की कोई भूमिका हो तो बताइए! बिलकुल सही बात है।

मॉब लिंचिंग में राज्य का नाम बबन दुबे ने रौशन किया था। लेवाडीह साम्प्रदायिक तनाव का लाभ पार्टी को...

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