Translated Hindi fiction: An excerpt from ‘Lajja’, by Taslima Nasreen

A savage indictment of religious extremism and man’s inhumanity to man, ‘Lajja’ was banned in Bangladesh but became a bestseller in the rest of the world.

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तसलीमा नसरीन (अनुवाद मुनमुन सरकार ) के उपन्यास लज्जा का एक अंश, वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित।

1966 के बाद पूर्व पाकिस्तान सरकार ने सम्पूर्ण देश की पैमाइश करायी। इससे पता चला कि 1947 के देश त्याग और 1950 और 1954 के दंगों के बाद जो अपनी सम्पत्ति की देखरेख एवं संरक्षण का दायित्व अपने परिवार के सदस्य, साझेदार या दूसरे रिश्तेदारों या किसी अन्य को देकर भारत चले गये सिर्फ उनके मकान, पोखर, बगीचा, पारिवारिक श्मशान, मैदान, मंदिर, खेत तथा अन्य जमीनें शत्रु की सम्पत्ति के रूप में सूचीबद्ध होती हैं। इसके अलावा जो हिन्दू भारत में गये, भारत के अलावा विदेश में अस्थायी रूप में रहते हैं या अस्थायी रूप में भारत में ही रहते हैं, उनकी सम्पत्ति को भी 'शत्रु सम्पत्ति' के अन्तर्गत लाया गया। लेकिन जो मुसलमान भारत या भारत के बाहर चले गये हैं, उनकी सम्पत्ति को “शत्रु सम्पत्ति” के अधीन नहीं रखा गया। इसके लिए कोई पैमाइश भी नहीं करायी गयी। हिन्दू संयुक्त परिवारों के नियमानुसार, परिवार के अनुपस्थित सदस्यों की सम्पत्ति की मिल्कियत संयुक्त परिवार के सरवाइविंग सदस्य को सौंपी जाएगी तथा वे उसका उपभोग करेंगे। लेकिन ऐसी सम्पत्ति पर भी सरकारी दखल हो गया है।

सुधामय ने सोचा नियाज हुसैन, फजलुल आलम, अनवर अहमद परिवार सहित उनकी आँखों के...

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