Translated Hindi poetry: An excerpt from ‘Khamoshi Ka Arth Parajay Nahin Hota’

Edited by Gyanranjan and Kamla Prasad, and translated from the Bengali by Amitabh Chakraborty, the book is an anthology of poems from Bangladesh.

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सम्पादक ज्ञानरंजन, कमला प्रसाद, अनुवाद अमिताभ चक्रवर्ती के किताब ख़ुामोशी का अर्थ पराजय नहीं होता का एक अंश, वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित।

राष्ट्रभाषा संग्राम परिषद, सर्वदलीय राष्ट्रभाषा संग्राम परिषद, जन आज़ादी लीग, तमहुन मजलिस आदि अनेक संगठनों द्वारा ‘पूर्वी पाकिस्तान के लिए राष्ट्रभाषा बांग्ला’ के समर्थन में 11 मार्च 1949 के दिन पहली बार देशव्यापी राष्ट्रभाषा दिवस मनाया गया। वह क्रम 1950 और 1951 में भी जारी रहा। 1952 के 26 जनवरी के दिन मुस्लिम लीग के ढाका अधिवेशन में अध्यक्ष नजीमुद्दीन ने फिर यह घोषणा की कि ‘उर्दू ही पाकिस्तान की एकमात्र राष्ट्रभाषा रहेगी' तो उस वर्ष 21 फ़रवरी को ही राष्ट्रभाषा दिवस मनाने का निर्णय लिया गया।

21 फ़रवरी के दिन राष्ट्रभाषा बांग्ला के समर्थन में छात्रों ने ढाका में शान्ति जुलूस निकाला। पुलिस ने प्रशासन के बहकावे में आकर उस जुलूस पर गोली चला दी। फलस्वरूप अनेक छात्र और नागरिक हताहत हुए। 22 फ़रवरी को गोली चालन के विरोध में छात्रों ने फिर जुलूस निकाला। पुलिस ने उस प्रतिवाद जुलूस पर भी अन्धाधुन्ध गोलियाँ चलायीं। जिससे उस दिन भी अनेक लोग हताहत हुए। 23 फ़रवरी को मृतकों की याद में एक शहीद मीनार आनन-फानन में बनायी गयी और 24 फ़रवरी की सुबह उसका उद्घाटन किया गया। हालाँकि 23 फ़रवरी की रात में पुलिस...

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