Hindi nonfiction: An excerpt from ‘Ghrina Ki Rajneeti’, by Sitaram Yechury

Sitaram Yechury’s view of fascism and communal divisions in independent India.

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सीताराम येचुरी के किताब घृणा की राजनीति का एक अंश, वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित।

जाने-माने कम्युनिस्ट नेता, ए के गोपालन की स्मृति में आयोजित व्याख्यान माला का तेरहवां व्याख्यान 13 अप्रैल 1998 को नई-दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब हाल में हुआ था। व्याख्यान का विषय था, स्वतंत्र भारत में सांप्रदायिक व फासीवादी ताकतों का उदय । आज के दौर में इस विषय की प्रासंगिकता को देखते यहाँ उस व्याख्यान को प्रस्तुत किया जा रहा है।

तेरहवें ए के गोपालन स्मृति व्याख्यान के लिए आमंत्रित किए जाने को मैं अपने लिए बड़े सम्मान की बात समझता हूँ, । कामरेड एकेजी जिन्हें हम सभी स्नेह से इसी नाम से बुलाते थे, भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के सबसे बड़े जन नेताओं में से थे। उन्हें उचित ही एक समय में भारतीय क्रांति के सूत्रधार का नाम दिया गया था।

यह वाकई महत्त्वपूर्ण है कि यह व्याख्यान भारत की आजादी की पचासवीं सालगिरह के वर्ष में हो रहा है। आजादी की लड़ाई में एकेजी ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। फिर भी, शायद इसकी याद ज्यादा लोगों को नहीं होगी कि जिस समय भारत को आजादी मिली, एकेजी को तब भी आजादी नहीं मिली और उस समय वह जेल में ही थे। अपने संस्मरणों में वह इस समय को याद करते हुए लिखते हैं: “14 अगस्त 1947 को विशाल...

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